Amer fort Jaipur all history
Hello, friends
In this post, Amer Fort Jaipur's history, timings, light show, picture, parking, elephant ride, and all information about Amber Fort Jaipur.
amber fort contact number
0141 253 0293
Amer Fort history in Hindi
किला जयपुर से 15 किलोमीटर दूर एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है और यह राजपूत शासकों का निवास स्थान था।
महाराजा मानसिंह प्रथम भी यहां का ही शासक था
जिन्होंने मुगल सम्राट अकबर की सेना का नेतृत्व किया था। यह किला बलुआ पत्थर और संगमरमर से बना गया है यह राजस्थान के मुख्य किलो में से एक हैं।
Amer Fort Full Tour Video
इस किले को बनाने की शुरुआत 1552 ईसवी से की गई और बनाने में 100 वर्षों का समय लगा था।
किले के बनाने के उपरांत यहां पर 3 शासकों ने राज किया था।
लेकिन राजधानी 1727 मैं जयपुर स्थानांतरित कर दिया गया जिसके बाद भी इस किले का महत्व कम नहीं हुआ।
इस किले को चारों तरफ से बलुआ पत्थर की मजबूत दीवार से सुरक्षित किया गया है।
आमेर किले में प्रवेश करने पर सामने जलेब चौक आंगन आता है जिसने राजा अपनी सेना को रखते थे।
मुख्य द्वार के अलावा यहां पर सूरजपोल और चांदपोल द्वार भी है जो इस जलेब चौक में आने के द्वारा हैं।
इस किले को जयगढ़ किले से जोड़ा गया है जिसमें जाने का रास्ता गणेश पोल से है।
आमेर किले में दीवाने-ए-खास, दीवाने-ए-आम और शीश महल भी स्थित है जो इस किले की मुख्य भूमिका निभाते हैं।
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किला जयपुर से 15 किलोमीटर दूर एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है और यह राजपूत शासकों का निवास स्थान था।
In this post, Amer Fort Jaipur's history, timings, light show, picture, parking, elephant ride, and all information about Amber Fort Jaipur.
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0141 253 0293
Amer Fort history in Hindi
किला जयपुर से 15 किलोमीटर दूर एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है और यह राजपूत शासकों का निवास स्थान था।
महाराजा मानसिंह प्रथम भी यहां का ही शासक था
जिन्होंने मुगल सम्राट अकबर की सेना का नेतृत्व किया था। यह किला बलुआ पत्थर और संगमरमर से बना गया है यह राजस्थान के मुख्य किलो में से एक हैं।
Amer Fort Full Tour Video
इस किले को बनाने की शुरुआत 1552 ईसवी से की गई और बनाने में 100 वर्षों का समय लगा था।
किले के बनाने के उपरांत यहां पर 3 शासकों ने राज किया था।
लेकिन राजधानी 1727 मैं जयपुर स्थानांतरित कर दिया गया जिसके बाद भी इस किले का महत्व कम नहीं हुआ।
इस किले को चारों तरफ से बलुआ पत्थर की मजबूत दीवार से सुरक्षित किया गया है।
आमेर किले में प्रवेश करने पर सामने जलेब चौक आंगन आता है जिसने राजा अपनी सेना को रखते थे।
मुख्य द्वार के अलावा यहां पर सूरजपोल और चांदपोल द्वार भी है जो इस जलेब चौक में आने के द्वारा हैं।
इस किले को जयगढ़ किले से जोड़ा गया है जिसमें जाने का रास्ता गणेश पोल से है।
आमेर किले में दीवाने-ए-खास, दीवाने-ए-आम और शीश महल भी स्थित है जो इस किले की मुख्य भूमिका निभाते हैं।
Deevaane-e-khaas:-
इस मे बलुआ पत्थर और संगमरमर पत्थर लगा हुआ है बलुआ पत्थर मुगल सम्राट अकबर को बहुत पसंद था ।
संगमरमर आमेर किले के शासको को बहुत पसंद थे इसलिए यहां पर दोनों प्रकार की शैलियों का प्रयोग किया गया है।
इस किले में शीला देवी का मंदिर भी स्थित है।
शीला देवी मां काली का अवतार है जिससे कि यहां पर मानव सिर की बलि भी दी जाती थी।
दीवाने-ए-खास मे कोई भी मेहमान आता था उससे मिलने का स्थान था और दीवाने-ए-आम जहां पर सेनापति और राजा की बैठक हुआ करती थी।
इस मे बलुआ पत्थर और संगमरमर पत्थर लगा हुआ है बलुआ पत्थर मुगल सम्राट अकबर को बहुत पसंद था ।
संगमरमर आमेर किले के शासको को बहुत पसंद थे इसलिए यहां पर दोनों प्रकार की शैलियों का प्रयोग किया गया है।
इस किले में शीला देवी का मंदिर भी स्थित है।
शीला देवी मां काली का अवतार है जिससे कि यहां पर मानव सिर की बलि भी दी जाती थी।
दीवाने-ए-खास मे कोई भी मेहमान आता था उससे मिलने का स्थान था और दीवाने-ए-आम जहां पर सेनापति और राजा की बैठक हुआ करती थी।
Sheesh mahal of Amer fort
शीश महल को शीशा से बनाया गया है यह शीशा बेल्जियम से मंगाया गया है इस शीश महल के छत को छोटे-छोटे शीशों से निर्माण किया गया है।
शीश महल को शीशा से बनाया गया है यह शीशा बेल्जियम से मंगाया गया है इस शीश महल के छत को छोटे-छोटे शीशों से निर्माण किया गया है।
Reason for making Shees palace:-
यहां की रानियों को बाहर निकले ने का अधिकार नहीं था इसीलिए वह रात को तारों की रात में नहीं जा सकती थी वहां के राजा ने शीश महल बनवाया था
जिसमें छोटे छोटे शीशे लगे होने के कारण यहां मोमबत्ती जलाने पर रात में तारों जैसी रात की फीलिंग आती थी।
इस किले को 2013 में राजस्थान के 6 अन्य किलो समेत यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया है।
यहां का शासक महाराजा मानसिंह प्रथम की 12 रानियां थी जिनको अलग अलग रहने की व्यवस्था दी गई थी और राजा का उनके ऊपर एक कमरा था ।
जिससे नीचे उन रानियों के सभी कमरों में अलग अलग जाने के लिए सीढ़ियों की व्यवस्था की गई थी।
जैसे कि कोई अन्य रानी को बगैर ध्यान में किसी भी रानी से मिल सकता था।
उनके बीच एक खुला प्रांगण था जिसने राजा रानियों से मिला करता था।
कोई रानी राजा से नाराज हो जाती थी तो वह उस प्रांगण में काले वस्त्र पहन कर आया करती थी जिसे राजा समझ जाता था।
कि यह रानी हमारे से नाराज है और फिर राजा अपने हिसाब से उस रानी की समस्या पूरी करता था।
यहां की रानियों को बाहर निकले ने का अधिकार नहीं था इसीलिए वह रात को तारों की रात में नहीं जा सकती थी वहां के राजा ने शीश महल बनवाया था
जिसमें छोटे छोटे शीशे लगे होने के कारण यहां मोमबत्ती जलाने पर रात में तारों जैसी रात की फीलिंग आती थी।
जिसमें छोटे छोटे शीशे लगे होने के कारण यहां मोमबत्ती जलाने पर रात में तारों जैसी रात की फीलिंग आती थी।
इस किले को 2013 में राजस्थान के 6 अन्य किलो समेत यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया है।
यहां का शासक महाराजा मानसिंह प्रथम की 12 रानियां थी जिनको अलग अलग रहने की व्यवस्था दी गई थी और राजा का उनके ऊपर एक कमरा था ।
जिससे नीचे उन रानियों के सभी कमरों में अलग अलग जाने के लिए सीढ़ियों की व्यवस्था की गई थी।
जैसे कि कोई अन्य रानी को बगैर ध्यान में किसी भी रानी से मिल सकता था।
उनके बीच एक खुला प्रांगण था जिसने राजा रानियों से मिला करता था।
कोई रानी राजा से नाराज हो जाती थी तो वह उस प्रांगण में काले वस्त्र पहन कर आया करती थी जिसे राजा समझ जाता था।
कि यह रानी हमारे से नाराज है और फिर राजा अपने हिसाब से उस रानी की समस्या पूरी करता था।
Time to open amer fort
यह किला सुबह 8:00 बजे खुलता है और शाम को 5:30 बजे तक खुला रहता है।
यह पहाड़ी पर होने के कारण आप यहां पर हाथी पर सवारी करके जा सकते हैं पैदल भी जा सकते हैं और गाड़ी से भी जा सकते हैं।
यहां पर माटा झील के पास शाम को लाइट शो और साउंड शो जो कि शाम के 6:30 बजे से 9:30 बजे तक होता है।
रात को 2 शो होते हैं जो एक अंग्रेजी और दूसरा हिंदी में होता है।
इनके बारे में और पढ़ें
यह किला सुबह 8:00 बजे खुलता है और शाम को 5:30 बजे तक खुला रहता है।
यह पहाड़ी पर होने के कारण आप यहां पर हाथी पर सवारी करके जा सकते हैं पैदल भी जा सकते हैं और गाड़ी से भी जा सकते हैं।
यहां पर माटा झील के पास शाम को लाइट शो और साउंड शो जो कि शाम के 6:30 बजे से 9:30 बजे तक होता है।
रात को 2 शो होते हैं जो एक अंग्रेजी और दूसरा हिंदी में होता है।